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फिज़ा -15-Mar-2023

प्रतियोगिता हेतु
दिनांक: 15/03/2023

फिज़ा

हां है मुझे मोहब्बत,,
बेइंतहा।
मेरी मोहब्बत बयां कर रही है,
फिज़ाओं की ये खूशबू।
जो मेरे आस पास आकर, 
मैंने तन- बदन को महका रही है।
फिज़ा में एक लहर है 
खामोशी की,
वो मेरे दिल की धड़कनों को ,
तेज़ी से धड़का रही है ।

क्योंकि मोहब्बत हो गई है आज मुझे,
फिज़ाओं में बहक जाने का मन करता है।
उड़कर दूर चले जाने का मन करता है।
फिज़ा कोई गीत गुनगुना रही है,
मुझे हौले से अपने पास बुला रही है।
मैं मुस्कराती हूं और 
अपने आपको आईने में निहारती हूं।
फिज़ा का एक झौंका 
चुपके से आकर मेरे कानों में
प्रेम गीत सुना जाता है।।

हां है मुझे मोहब्बत,,
बेइंतहा।
मेरी मोहब्बत बयां कर रही है,
फिज़ाओं की ये खूशबू।।

शाहाना परवीन "शान"...✍️ 

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4 Comments

Varsha_Upadhyay

16-Mar-2023 08:48 AM

वाह बहुत खूब

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Renu

15-Mar-2023 11:37 PM

👍👍🌺

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Sachin dev

15-Mar-2023 11:05 PM

Nice

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